Tum
तुम
हवा का झोंका हो तुम
पल में छूमंतर हो लेती हो,
पर आंधी तूफान जैसे
हमारे अंदर छेड़ देती हो.
शोला हो तुम, सुर्ख
जिसकी चिंगारी से
दिल में आग धधकती है,
जब भी तुम हमें छोड़ जाती हो.
शबनम-सी हो तुम
बरसों की प्यास बुझाती हो,
इस ठंडे अहसास में
हमें डुबा जाती हो.
काली रात का वीराना
उसकी तन्हाई हो तुम,
जिसके खामोश सन्नाटे में
तुम बहुत याद आती हो.
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